Sunday, July 27, 2014


तंगड़ी आलिशान ...

तंगड़ी आलिशान, भुना दो तंगड़ी आलिशान
पहले ही दिन सावन के, व्रत का हो बलिदान-
भुना दो तंगड़ी आलिशान...
मछली का बाज़ार भरा, खाली न यूँ पड़ जाय
तरकारी से सस्ती मच्छी, कब तू लेने पाय
सावन महीने की मस्ती में जिव्हा न करना दान
भुना दो तंगड़ी आलिशान

बार बना फूल हैपी अवर्स, चाहे हो दिन-रात
धंधे के सूखे पर दे दी, शेट्टी ने कर मात
मौके-चौके वक़्त व्यर्थ क्यूँ रहना परेशान
भुना दो तंगड़ी आलिशान

-बारकवी


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